गरुडा जेबाकाल मौलापुरमे विश्राम
ई मन्दिर रहस्यसँ भरल अइछ– नेपालक रौतहट जिलाक मौलापुर नगरपालिका–५ मे स्थित पुरातात्विक पतौरा मन्दिरदिसि इशारा करैत रौतहट–३ सँ निर्वाचित सांसद आ पूर्वमन्त्री प्रभु साह कहलैन–जतेक बेसी उत्खनन आ शोध होइत छै, ओतबए नव रहस्यसबहक खुलासा भऽ रहल अइछ । ओ आर जानकारी दैत कहलैन– शुरूमे ई मन्दिर सेनकालक मानल जाइत छल । बादमे एकटा आओर तथ्यक पता चलल आ एकर सम्बन्ध आ इतिहास कर्नाटसँ जोड़ल गेल । आब विभिन्न तथ्य सामने आबिरहल अइछ जे ई कर्नाटकालसँ सेहो पुरान अछि ।पतौराक महादेव मन्दिरक सम्बन्धमे पहिनेसँ सुनैत आएल छलियै । पूरातत्वविद आदरणीय गोपाल झाजीसँग एहि सम्बन्धमे बात होइत रहल छलए । एहिसम्बन्धमे ओ बहुत जानकारी देने रहैथ । नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक मैथिली प्रकाशन आङनक कार्यकारी सम्पादकऽक हैसियतसँ हम हुनका एहिसम्बन्धी एक आलेखहेतु आग्रह केने रहियैन । ओ उपलब्ध करौने रहैथ आ हमरा सम्पादनक शौभाग्य प्राप्त भेल रहए । गोपाले सरसँ जानकारी भेल छलए एहि ठामक उत्खनन कार्यक नेतृत्व प्रसिद्ध पूरातत्वविद आदरणीय तारानन्द मिश्र केने रहैथ । दूर्भाग्य एहि ठाम कार्यरत रहितेकाल ओ दिवंगत भऽगेलैथ । मिश्र भगवान बुद्धसँ सम्बन्धित लुम्बिनी आ तिलौराकोट उत्खनन आ अध्ययनमे संलग्न विश्वप्रसिद्ध पुरातत्वविद मानल जाई छलैथ ।
ई सन्दर्भ छलै नेपाल पत्रकार महासंघ रौतहटद्वारा आयोजित मनोज चौधरी स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार वितरणक अवसरि । पत्रकार महासंघ रौतहटक अध्यक्ष प्रीय अनुज प्रेमचन्द्र झा ई पुरस्कार ग्रहण कऽ देबाहेतु तीव्र आग्रह केने रहैथ । हमरा हुनक सिनेहयुक्त आग्रहकेँ अस्वीकार कएल नै भेल आ सहमति व्यक्त कऽ हम २०८० जेठ १९ (२०२३ जुन २)कऽ रातिमे रौतहट आएल रही । काइल गरुडामे आयोजित होबऽबला कार्यक्रममे पुरस्कार वितरण हएत । हमरासभक रहबाक व्यवस्थापन मौलापुरक एक होटलमे कएल गेल रहए ।हमरासभ विपुल पोखरेल (नेपाल पत्रकार महासंघक अध्यक्ष जे काइलकेँ कार्यक्रमक प्रमुख अतिथि छैथ), हम कार्यरत संस्था राष्ट्रिय समाचार समिति (रासस) लेख रचना विभागक प्रमुख कृष्ण अधिकारी, राससका प्रशासन विभागक प्रमुख शितल महतो, न्युनतम पारिश्रमिक निर्धारण समितिक संगीता खड्का, पत्रकार शिवशंकर मिश्राजी सेहो संग रहैथ । राससके रौतहट संवाददाता उत्तम उपाध्याय सेहो सहजकर्ताक भूमिकामे सँगे रहैथ । कृष्णजीक नाम आएल तँ मोन पड़ल । व्यस्तताक कारण हम त एहि पतौरा महादेवक सन्दर्भक लिपिबद्ध केनाई विसरि गेल रही । शायद २०८० जेठ २५क दिन हमर आ कृष्णजीकेँ संयुक्त नामसँ एक फिचर प्रकाशित भेल रहए । तकरबाद त हम विसैर गेलियै । ई तँ कृष्णजीकेँ धन्यवाद जे हमरा मोन पाडि़ देलैथ आ सामग्री सेहो उपलब्ध करा देलैथ ।उपर चर्चा केलौ जे काइल राति अबेर पहुँचल रही तएँ भोजन कऽ सुतबाहेतु कोठली पकैड़ लेने रही । पुरस्कार वितरणक कार्यक्रम आई दिनमे (२०८० जेठ २० अर्थात २०२३ जुन ३) एक वजे गरुडामे आयोजित होबाक जानकारी देल गेल छै । मुदा रौतहटके वस्तुस्थितिक जानकारी रखनिहार लोकैनकेँ ई बुझबामे कोनो भाङठ नै जे कमसँ कम एक घण्टा विलम्ब हेबेटा करतै । अर्थात हमरासभलग पर्याप्त समय छल आ ई समयकेँ सदुपयोग करबाक छल । मौलापुरमे रही तँ एकरे लाभ उठेबाक हमरालोकैनकेँ विचार भेल ।
पतौरा महादेव मन्दिरक अवलोकन
हमसभ लगेमे अवस्थित पतौरा टोलक महादेव मन्दिर घुमबाक योजना बनेलौ । एहि मन्दिरक सम्बन्धमे हमरा विगतमे आदरणीय तारानन्द मिश्र, गोपाल झा आ स्वयं प्रभु साहजीसँ किछु जानकारी प्राप्त भेल छलए आ जिज्ञासा तीव्र छलए । मौलापुर प्रभुजीक गाम छैन । ई एहि निर्वाचन क्षेत्रसँ संघीय संसदहेतु निर्वाचित होइत आएल छैथ आ हिनक पत्नी रीना साह एतौका मेयर छैथ । ई मन्दिरक खोज, उत्खनन आ अनुसन्धानमे साह परिवार आ नगरपालिकाक महत्वपूर्ण भूमिका रहल अइछ । पहिने ई मन्दिर देखबामेनै अबैत छलै मुदा उत्खननक बाद एखन एतऽ वेश देखनगर मन्दिरक उपस्थिति अइछ । एकर अध्ययनसँ एक नव इतिहासक जानकारी हेबाक अपेक्षा आ विश्वास कएल जा रहल छैक ।
इतिहास साक्षी अइछ ई क्षेत्र मध्यकालीन मिथिलाक केन्द्र रहि आएल अइछ । वगलेमे रहल सिम्रौनगढ कर्णाटवंशी मैथिल राजासभक राजधानी रहल अइछ । मध्यकालीन मिथिला समाजक विश्लेषण कएल जाए तँ एकटा बात बुझाबामे आएत जे समाजमे शिव मन्दिरक उपस्थिति पर्याप्त अइछ । पतौराक शिव मन्दिरकेँ सेहो प्रारम्भमे मिथिला समाजक एक सशक्त साक्षी मानल जाइत रहल । मुदा पछिला अध्ययनसभ एहि मन्दिरकेँ कर्णाटवंशसँ पहिलेक होबाक बातदिसि संकेत कऽ रहल अइछ ।जानकारलोकैनकँे मोताबिक ई मन्दिर आ आसपासक क्षेत्रक पुरातात्विक अध्ययन आ शोध जँ पूरा भऽ जाइत अइछ तँ ई विगतक मिथिलाक आ सिमरौनगढ़ राज्यक इतिहासेटा नै बल्कि नेपालक इतिहासकँ सेहो नव ढंगसँ अध्ययन कएल जेबाक अवस्थाक सिर्जना भऽ सकैत अइछ । हुनका लोकैनकेँ अनुसार मध्यकालीन मिथिलाक केन्द्र रहल सिम्रौनगढसँ पहिलुक मिथिलाक केन्द्र आ इतिहासक सम्बन्धमे पर्याप्त स्पष्टता नै अइछ, पर्याप्त आ स्पष्ट साक्ष्य उपलब्ध नै अइछ, एहि पृष्ठभूमिमे पतौरा मन्दिरक अध्ययन मिथिलाक इतिहासक टूटल तारके जोडि़ सकैत अइछ ।
पतौरा मन्दिरकेँ विश्व सम्पदा बनेबाक माग
उत्खननमे संलग्नसभक अनुसार ई मन्दिर लगभग १०म शताब्दीक आसपासऽक भऽ सकबाक अनुमान अइछ । स्थानीय लोकऽक कहब अइछ जे एकर उत्खनन आ संरक्षण राज्यद्वारा कएल जेबाक चाही आ एकरा विश्व सम्पदा सूचीमे सूचीकृत कएल जेबाक चाही । जेना–जेना शोधक माध्यमसँ नव तथ्यक जानकारीभऽ रहल छै, ऐतिहासिक आ पुरातात्विक महत्वक ई पतौरा मन्दिरकेँ विश्व सम्पदा सूचीमे शामिल कएल जेबाक जनताक माग उठब शुरू भऽ गेल छै ।
हमसभ मन्दिर आ मन्दिर परिसर घुमिरहल छलौं । मुदा घुमबामे सभक समान सहभागिता नै देखलियै । कि करबै, सभक इच्छा आ रुचि समान नै रहै छै । बहुतोके रुचि हमरेजकाँ मन्दिर देखबाक, घुमबाक आ इतिहासक अध्ययन केनाई नै भऽ सकैत छै । एकर अर्थ हम नीक आ ओलोकैन वेजाय से अर्थ नै लगबाक चाही । उत्खननक नेतृत्व केनिहार मिश्रजीक अवसानक बाद पूरातात्विक अध्ययनक काज एखन रुकलजकाँ छल । व्रिटेनक दुर्हाम विश्वविद्यालयक संलग्नता तँ छै मुदा शायद सक्रियताक अभाव छै । गोपाल झाजी एखन एतऽ उपलब्ध नै छैथ । एतौका सम्बन्धमे जँ कोनो जिज्ञासा हेबो करत तँ तकर समाधान करऽबालेल तत्काल ओतऽ केओ उपलब्ध नै अइछ । तएँ शायद खासे प्रश्नो नै अइछ । अपनासँ जते बुझलियै ओतबे बुझाएल आ किछु अनुत्तरित प्रश्नक उत्तरहेतु प्रभुजी स्वयंसँ सम्पर्क छोडि़ आन विकल्प नै छलए । तएँ मन्दिरक अवलोकनक बाद हमरालोकैन प्रभुजीक निवासपर गेल रही । जतऽ हुनकासँ विविध विषयमे साक्षात्कार भेल रहए । ओ मन्दिरक सम्बन्धमे जानकारी दैत कहने रहैथ–मन्दिरक अध्ययन इतिहासक नयाँ रहस्योदघाट्न कऽ सकै अइछ ।
सांसद साह कहलैन–, रौतहटक मौलापुर पतौरास्थित हजारों वर्ष पुरान ई महादेव मन्दिरक सँगहि मधेश प्रदेशक जानकी मन्दिर, गढिमाई मन्दिर, बारा सिम्रौनगढ़क ऐतिहासिक धरोहर स्थलके विश्व सम्पदा सूचीमें शामिल करेबालेल हमसभ क्रियाशील छी । ओ एहि तरहक धरोहर स्थलकेँ विश्व सम्पदाक रुपमे सामेल करेबालेल आवश्यक कूटनीति आ अन्य पहल करबालेल संघीय सरकारसँ आग्रह केलैन । सांसद साहक सँग मन्दिरक अतिरिक्त स्थानीय विकास निर्माणक सन्दर्भमे सेहो सामान्य बातचित भेल रहए । ओतऽ अबिते हमरालोकैनकेँ चाय प्राप्त भऽ गेल छलए जे चायपान आब समाप्तिदिसि अग्रसर छलए ।
प्रारम्भमे पुरातत्व विभागद्वारा मन्दिरक देवालमे प्रयोग भेल ऐतिहासिक ईंटाक जांचमें पता चलल जे ईंटाक चौड़ाई १० इञ्चसँ बेसी छल । पूर्वमन्त्री साह वि स.ं २०६७÷६८ मे पुरातत्व विभागके एहि ईँटाक सम्बन्धमे जानकारी करौने रहैथ । एहि मन्दिरक अध्ययनसँ जुड़ल लोकऽक अनुसार मन्दिरक पुनर्निर्माण कर्नाटकाल (११–१२म शताव्दी), सेनकाल (१५–१६म शताब्दी)मे भेल आ वर्तमानमे एखन भऽ रहल अइछ । ई मन्दिर प्रत्येक पाँच सओ सालमे लोप आ प्रकट होइत आबिरहल विश्वास कएल जाइत अइछ ।
हमसभ मन्दिरक सामान्य अवलोकन बाद प्रभुक निवासमे जाइतकाल कनेकाल गाम घुमने रही । गाम सुन्दर छै । स्थानीय लोकऽक अनुसार मौलापुर बहुत छोट समयमे बहुत विकास केलक अइछ । मौलापुर नव नगरपालिका अइछ । संघीयता एलाक बाद किछु गामसबकेँ जोडि़ कऽ मौलापुर नगरपालिका बनल अइछ । गाम घुमैतकाल हम किछु स्थानीयकेँ पतौरा महादेव मन्दिरक सम्बन्धमे जिज्ञासा रखने रहियैक । जानकारी भेल छलए, खेत खनैतकाल पुरान ईंटसब भेटलाबाद स्थानीय व्यक्तिद्वारा उत्खनन कएल गेल छलै आ ताहिक्रममे मन्दिरक संरचनाक पता चलल तँ उत्खनन कार्यकेँ तीव्रता प्रदान कएल गेलै आ शिवलिंग प्राप्त भेलै । तकरबाद एक सामान्य मन्दिर बना पूजा अर्चना शुरू कएल गेलैक । मान्यता अइछ जे एहि मन्दिरमे पूजा केलासँ लोकऽक मनोकांक्षा पूरा होइत अइछ । हालऽक दिनमे नेपाल आ भारतसँ पैघ संख्यामे भक्तजन एहि मन्दिरमे पूजा करबालेल आबऽ लागल छैथ।
सेन आ कर्णाट वंशसँ पुरान मन्दिर
प्रारम्भिक उत्खननमे ई मन्दिरक संरचना सेनकालीन रहल मानल गेल । मन्दिरक ऊपर माली टोल बसल होबाक कारणे आगूक उत्खननक काजमें बाधा पहुँचलाक बाद नगरपालिका बस्तीकँे स्थानान्तरित कऽ मन्दिर क्षेत्रकँे खाली करबा वरिष्ठ पुरातत्वविद तारानन्द मिश्र नेतृत्वक टोली आ पुरातत्व विभागद्वारा कएल गेल उत्खननमें कर्नाटकालमें सेहो मन्दिरक पुनर्निर्माण भेल तथ्य सार्वजनिक भेल । मन्दिरक प्रारम्भिक उत्खननक क्रममे बहुतरास रहस्यमयी तथ्य सामने आबिरहल बात पूर्वमन्त्री साह बतौलैन । मन्दिरक उत्खनन आ पुरातात्विक अध्ययन कार्य जारी रहले समयमे पुरातत्वविद मिश्रक मृत्यु भेलाक कारण मन्दिरक अध्ययनक सम्बन्धमे अनेक समस्याक अनुभव कएल जा रहल अइछ ।
मन्दिरक उत्खनन करैतकाल एकर संरचना जमीनक वर्तमान सतहसँ लगभग २२ फीट गहींरधैर पाओल गेल अइछ । रौतहटक ईशानाथ मन्दिर, (विसं ११४० में स्थापित) जे सिम्रौनगढ़में कर्नाट वंशक शासनक स्थापनेक समयक मानल जाइत अइछ, केँ विचार कएल जाए तँ पतौराक महादेव मन्दिर आओर पुरान भऽ सकबाक सम्भावना छै ।
प्रारंभिक उत्खनन रिपोर्टक अनुसार कर्नाटकाल(११म सँ १२मशताव्दी)मे ई मन्दिरक पुनर्निर्माण भेल छल । उत्खनन् आ अन्वेषणसँ प्राप्त अन्य तथ्यअनुसार मन्दिरक बगलमे एकटा महलक अवशेष सेहो पाओल गेल अइछ । अनुमान अइछ जे महल तत्कालीन शासकक केन्द्र रहल हएत । समयक सँग समाज, शासन, आ प्रकृतिमें आएल व्यापक परिवर्तनक बावजूद ई मन्दिरक प्राचीन अस्तित्व अक्षुण्ण रहल प्रतीत होइत अइछ ।
मौलापुरक सम्बन्ध शिवभूमिसँ
मौलापुर प्राचीनेकालसँ धर्म आ आस्थाक केन्द्र रर्हैत आएल मानल जाइत अइछ । मौलापुर शब्द संस्कृत शब्द ‘मौला’ आ ‘पुर’ सँ बनल अछि । मानसार शिल्पशास्त्रक अनुसार मौला शव्द भगवान शिवक जटाकँे बुझबैत अइछ जखन कि पुरऽक अर्थ नगर होइत अइछ । एहिसँ सहजे बुझल जा सकैत अछि जे मौलापुर भगवान शिवके केशसँ उत्पन्न भेल आ प्राचीनकालसँ पवित्र शिवभूमि रहि आएल अइछ ।
उत्खनन आ अध्ययनऽक क्रममे प्राप्त पूरान संरचनाक बाद पतौराक महादेव मन्दिरकँे एखन अंग्रेज पुरातत्वविदसभद्वारा सेहो विशेष अध्ययन शुरु कएल गेल अइछ । पतौरा महादेव मन्दिरमें बढ़ल रुचिकऽ बाद ब्रिटेनक दुर्हाम विश्वविद्यालयक पुरातात्विक टीम स्थलगत अध्ययन शुरू केलक अइछ. । मौलापुर नगरपालिकाक अनुसार रिची भिलिस आ अलिक नेलोरक टीम पुरातात्विक अध्ययनक काज शुरु केलक अइछ । एखनधैरक अध्ययन आ प्राप्त प्रमाणक आधारपर ई कहल जा सकैत अइछ जे एहिठाम कोनो समयमे समृद्ध शहर रहल हेतै ।
आई हमरालेल निश्चय महत्वपूर्ण दिन अइछ । पुरस्कार प्राप्ति होबाक दिन । पुरस्कार वितरण कार्यक्रम गरुडामे आयोजित छलए । प्रभुजीक निवासपर करिव साढे एगारह बाजिगेल रहए । हमसभ हुनकासँ विदा लऽ ओतऽसँ प्रस्थान कऽ गौर पहुँचलौ । प्रेभचन्द्रजीक सौजन्यसँ भोजनक व्यवस्था ओतऽ छल । भोजनक बाद हमरालोकैन गरुडा पहुँचलौं । जेनाकि अनुमानित छल, कार्यक्रम करिव दू वजे सुरु भैल । गर्मी प्रचण्ड छलए । सभाकक्षमे एयरकण्डिशनकेँ व्यवस्था तँ छल मुदा अपर्याप्त बुझारहल छलए । नगरपालिकाक उपमेयर दिवंगत पत्रकार मनोज चौधरीक पत्नी छैथ । हिनके नामपर पुरस्कार स्थापित अइछ । स्थानीय रेडियोक सञ्चालक आ व्यवस्थापक मनोज जिलाक एक स्थापित पत्रकार रहैथ जे ४१ वर्षक उमेरमे कोरोनाकालमे देह त्याग केने रहैथ । कार्यक्रम सम्पन्न भेल । हमरासकेँ विलम्ब भेल जा रहल छलए । काठमाण्डू आइए पहँुचबाक छलए । कतबो हडबडी केलाक बादो ओतऽसँ निकलैत चारि बाजिगेल । हमसभ गाडीसँ आगाँ बढिरहल छलौं । गर्मीक पारा एखनो ओहिना छलए ।